| 1. | द्रव हिलियम्का प्रयोग अतिचालक पदार्थों को अत्यधिक ठण्डा करके उन्हें अतिचालक अवस्था में ले जाने के लिये किया जा रहा है।
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| 2. | द्रव हिलियम्का प्रयोग अतिचालक पदार्थों को अत्यधिक ठण्डा करके उन्हें अतिचालक अवस्था में ले जाने के लिये किया जा रहा है।
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| 3. | जब कोई पदार्थ अपने क्रांतिक ताप से नीचे आकर अतिचालक अवस्था को प्राप्त होता है तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य हो जाता है।
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| 4. | जब कोई पदार्थ अपने क्रांतिक ताप से नीचे आकर अतिचालक अवस्था को प्राप्त होता है तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य हो जाता है।
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| 5. | और कुछ तत्व अब तक किसी भी रीति से अतिचालक अवस्था में नहीं ले जाये जा सके हैं (जैसे-रजत, ताँबा, स्वर्ण, तथा विरल गैसें, हाइड्रोजन आदि)
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